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शिव क्या है

हम तिन मुलभुत आयामों की बात कर हर है जिन्हें जिसके बिना अस्तित्व में कुछ नहीं हो सकता बस 3 मुलभुत शक्तिया , 3 मूलभुत गुण इतना बड़ा खेल खेत रहे हैं | ये केवल सतह पर अलग है भीतर गरही में सभ कुछ एकही है | तो आधुनिक विज्ञानीक अपनी ही भाषा में कह रहे हैं की शिव हर चीज को एक साथ थामे हुए हैं |

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आप ब्रह्मा,विष्णु, महेश 3 लोगो के बारे में मत सोचिये, एक बादलो पर तैर रहा हैं , दूसरा पहाड़ की छोटी पर बैठा है , तीसरा छीर सागर में हैं | हम तीन लोगो की बात नहीं कर रहे है | हम तीन मूल भुत आयामों की बात कर रहे हैं जिसके बिना अस्तित्व में कुछ भे नहीं संभव नहीं है अगर आप इन कहानियों को नजदीक से देखे तो (ब्रह्मा) श्रृजन की शक्ति हैं | क्या अस्तित्व में श्रृजन हैं विष्णु रख-रखाव हैं | क्या रख-रखाव हो रहा है | मैं किसी देश की बात नहीं कर रहा हूँ |

मैं श्रृष्टि की बात कर रहा हूँ |  क्या रख- रखाव हो रहा हैं बेशक विनाश भी हो रहा हैं आप के शरिर के अन्दर करोणों कोशिकाए मर रही हैं | करोणों कोशिकाए बन रही हैं  और अरबो का रख-रखाव किया जा रहा हैं |आप तीन शक्तियों की अभिव्यक्ति हैं और ये धरती भी और ये सौर्यमण्डल भी ये सभी तीन पहलुयो की अभिव्यक्ति हैं रख-रखाव,और विनाश शायद आप शिव के लगाव हो गया है और विनाशकारी हो गए हैं

पर सभी तीन अनुपात में किसी न किसी रूप में काम कर रहे हैं | और यही पुरे ब्रह्माण्ड का आधार हैं और स्थूल में भी यही तीन शाक्तियाँ हैं शुक्ष्म में भी यही तीन शाक्तियाँ , परमाणु में भे यही शाक्तियाँ हैं और ब्रह्माण्ड में भे यही तीन शाक्तियाँ हैं | यह एक बहुत ही सरल सी शक्ति हैं , तीन मूलभत शाक्तियाँ ,तीन मुलभुत गुण इतना बड़ा खेल-खेल रहे है की आप के समझ से परे है आप इनका जरा सा भे अंदाजा नही लगा सकते हैं|  जिस प्रकार शिव का त्रिशूल एक प्रतिक है | एसा नही के वे आप से लड़ना चाहते हैं , त्रिशूल तिन मूल भूतो का एक प्रतिक हैं , जसकी की हिन्दू धर्म में पूजा की जाती हैं |

ये तीन महाशक्तियां श्रृष्टि में मौजूद हैं | कई प्रकार से सभी अभिव्यक्तियो में ये मूल भुत रूप से मौजूद हैं | तीन मूलभुत शाक्तियाँ मौजूद हैं | जिसका प्रतिक शिव हैं | हम विनाशक को महादेव कहते हैं | क्योकि इसका सम्बन्ध है ब्रह्मा का सम्बन्ध हैं श्रृजन से, वीष्णु श्रृष्टि में  उनक सम्बन्ध हैं श्रृष्टि के संचलन से, शिव सुन्यता हैं ये दोनों श्रष्टि और रख रखाव , इनका सतीत्व शून्य हैं |  श्रृष्टि में खाली स्थान ही हैं  जिसका विस्तार सबसे जादा हैं जो असीम है और यही ये गोद है जिसमे श्रृष्टि बनती है और गायब हो जाती है   ये बनती है घटती है और बिखर जाती है सभ कुछ शिव के गोद में होता हैं क्यों की वे शुन्यता हैं  |

शिव कौन हैं  और उनके स्वरूप का अर्थ क्या है

शिव संस्कृत भाषा का अर्थ है जिसका अर्थ होता हैं | कल्याणकारी , शुभकारी शि का अर्थ होता है पापो का नाश करने वाला ,व का अर्थ होता है देने वाला यानि दाता , देव में शिव को शांतिदाता बताया गया हिया , तंत्र साधना में शिव को भैरव के नाम से भी जाना जाता है | शिव के दो काया है एक वह जो स्थूल रूप से व्यक्त किया जाता है दूसरा जो शिवलिंग के रूप में जाना जाता हैं भागवान शिव की पूजा शिवलिग पर ही जादा किया जाता है जो एक पत्थर कर रूप में होता है | शिवलिग को लेके लोगो में बहुत भ्रम है | परन्तु आप को भाता दे की संस्कृत भाषा में चिन्ह भगवन शिव को एक चिन्ह के रूप में दर्शाया जाता है |

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